भारत में महिलाओं के लिए गर्भपात के अधिकार पर विचार-विमर्श: क्या अबॉर्शन महिला का अधिकार होना चाहिए?
भारत में महिलाओं के लिए गर्भपात के अधिकार पर विचार-विमर्श: क्या अबॉर्शन महिला का अधिकार होना चाहिए? महिला अपने जीवन में विभिन्न भूमिकाओं का निर्वाह करती है - मां, बेटी, बहन, और मित्र। लेकिन समाज में मातृत्व को महिलाओं की स्वतंत्रता से भी अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इसी कारण, महिला अधिकार समूह और कानूनी अधिकार कार्यकर्ता लंबे समय से इस सवाल पर बहस कर रहे हैं कि मातृत्व एक विकल्प है या मजबूरी। यही सवाल गर्भपात (अबॉर्शन) को एक विवादास्पद विषय बना देता है। वैश्विक स्तर पर अबॉर्शन कानून : धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक कारकों के कारण दुनिया के विभिन्न देशों में अबॉर्शन कानूनों में बहुत विविधता है। 1973 में यूएसए के रो वर्सेस वेड केस में यह माना गया कि यूएसए का संविधान एक महिला के राइट टू हैव एन अबॉर्शन को प्रोटेक्ट करता है। यह पहला केस था जहां अबॉर्शन को एक महिला के फंडामेंटल राइट्स के साथ जोड़ा गया। आज की स्थिति में दुनिया के 24 देशों में अबॉर्शन कंप्लीट प्रोहिबिटेड है। कई अन्य देशों में सिवियर रिस्ट्रिक्शंस हैं, जैसे ब्राजील और पोलैंड। वहीं फ्रांस में महिलाओं को अबॉर्शन क...